आर.एस.एस एवं भाजपा के कर्णधारक मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये रोजाना नये-नये सपने देखने में लगे हैं। कोई लालकिला बना रहा है तो कोई संसद भवन की नकल करने में लगा है। कल तक जो लोग पहले से ही मरी हुई कांग्रेस पार्टी को ही अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानते, अब सबके सब आम आदमी के पीछे डंडा लेकर दौड़ने लगे हैं। मानो पिछले 65 सालों में देश को सिर्फ आम आदमी ने ही लूट था?
प्रधानमंत्री का सपना तो देखना कोई बुरी बात नहीं पर सपने के पीछे की हकीकत से मुंह चुराना मोदी के लाखों चाहने वालों के साथ धोखा देना है। आज हम इस सच्चाई से इंकार नहीं कर सकते कि मोदी ने भाजपा और संघ के निराश और हताश हुए कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। इनके भीतर अजीब सा उत्साह है। एक समय में राममंदिर के मुद्दे पर यह उत्साह देखने को मिला था। जबकि कांग्रेस का नेतृत्व खुद ही स्वीकार कर रहा है कि वे हारे हुए खिलाड़ी हैं।
सच्चाई यह भी है कि सिर्फ फेसबुक पर ही मोदी के चाहने वालों की संख्या लगभग एक करोड़ के पास पंहुचती दिखाई देने लगी है। परन्तु सच्चाई यह भी है कि फेसबुक पर ही मोदी के समर्थकों ने ‘आप’ के आने के बाद अपना आपा खो दिया है। इनके भीतर दूसरों की बात सुनने की क्षमता समाप्त होने लगी है। खुद को राष्ट्रवादी माननेवाले मोदी के समर्थक संसद में 272 सीट लाना चाहते हैं। इसका यह अर्थ मान लिया जाये कि संसद में बाकी जो लोग जाएंगें क्या वे देशद्रोही होगें? या उनको संसद में जाने का हक ही नहीं है?
अब भाजपा इतनी गरीब हो गई कि फंड जमा करने के लिए एक नया फंडा निकाला है ‘‘एक नोट, कमल पर वोट’’ इसके लिये दिल्ली भाजपा ने ‘‘Modi 4PM Fund’’ का नारा भी दिया। आप खुद ही अंदाज लगा लिजिये मोदी की नैया डूबोने में कौन लगा है। – शम्भु चौधरी 31.01.2014
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आर.एस.एस एवं भाजपा के कर्णधारक मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये रोजाना नये-नये सपने देखने में लगे हैं। कोई लालकिला बना रहा है तो कोई संसद भवन की नकल करने में लगा है। कल तक जो लोग पहले से ही मरी हुई कांग्रेस पार्टी को ही अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानते, अब सबके सब आम आदमी के पीछे डंडा लेकर दौड़ने लगे हैं। मानो पिछले 65 सालों में देश को सिर्फ आम आदमी ने ही लूट था?
प्रधानमंत्री का सपना तो देखना कोई बुरी बात नहीं पर सपने के पीछे की हकीकत से मुंह चुराना मोदी के लाखों चाहने वालों के साथ धोखा देना है। आज हम इस सच्चाई से इंकार नहीं कर सकते कि मोदी ने भाजपा और संघ के निराश और हताश हुए कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। इनके भीतर अजीब सा उत्साह है। एक समय में राममंदिर के मुद्दे पर यह उत्साह देखने को मिला था। जबकि कांग्रेस का नेतृत्व खुद ही स्वीकार कर रहा है कि वे हारे हुए खिलाड़ी हैं।
सच्चाई यह भी है कि सिर्फ फेसबुक पर ही मोदी के चाहने वालों की संख्या लगभग एक करोड़ के पास पंहुचती दिखाई देने लगी है। परन्तु सच्चाई यह भी है कि फेसबुक पर ही मोदी के समर्थकों ने ‘आप’ के आने के बाद अपना आपा खो दिया है। इनके भीतर दूसरों की बात सुनने की क्षमता समाप्त होने लगी है। खुद को राष्ट्रवादी माननेवाले मोदी के समर्थक संसद में 272 सीट लाना चाहते हैं। इसका यह अर्थ मान लिया जाये कि संसद में बाकी जो लोग जाएंगें क्या वे देशद्रोही होगें? या उनको संसद में जाने का हक ही नहीं है?
अब भाजपा इतनी गरीब हो गई कि फंड जमा करने के लिए एक नया फंडा निकाला है ‘‘एक नोट, कमल पर वोट’’ इसके लिये दिल्ली भाजपा ने ‘‘Modi 4PM Fund’’ का नारा भी दिया। आप खुद ही अंदाज लगा लिजिये मोदी की नैया डूबोने में कौन लगा है। – शम्भु चौधरी 31.01.2014
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