आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार गुजरात के श्री नरेन्द्र मोदी जी अचानक से भ्रष्टाचार और विकास की बातें भूलाकर राष्ट्रवाद की बातें करने में लगे। अब भाजपा के समर्थक इस बात के प्रचार में लग गये कि को जो भाजपा को वोट ना दे वह देशद्रोही। यदि इनकी बात मान ली जाए तो संसद में 272 सीट राष्ट्रभक्तों के पास होगी यदि इनको मिल जाती है तो, और शेष बची-खुची सीटों पर देशद्रोहियों का कब्जा होगा।
एक समय यही भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (काली टोपी वाले) तीनों ने मिलकर राममंदिर मुद्दे को खूब भुनाया था। आज ये तीनों राम का नाम तक नहीं लेते। मानो इनको कोई सांप सूंघ गया हो। जैसे ‘राम’ बोलते ही कहीं मुसलमानों के कुछ वोट जो भी इनको मिलने हैं कहीं इनकी झौली से गायब ना हो जाए।
अब भाजपा ने भ्रष्टाचार के मामले पर भी चुप्पी साध ली है। चुंकि भाजपा मानती है कि कर्नाटका में भ्रष्टाचारियों के सहयोग से कुछ सीटें प्राप्त की जा सकती है। श्री नरेन्द्र मोदी को यदि आईएसआई वाले भी आकर यह कह दे कि वे भी उनको 20-30 सीटें दिलवा सकतें हैं तो भाजपा तत्काल राष्ट्रवाद से भी समझौता कर लेगी। इनकी देशभक्ति का पैमाना सिर्फ लोकसभा में 272 सीटें प्राप्त करना और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना मात्र है।
काली टोपी वाले चाहते है कि किसी भी हालात में नरेन्द्र मोदी को दिल्ली की सत्ता पर बैठा दिया जाए। चाहे इसके लिय कुछ भी करना पड़े। 272 का आंकड़ा पार होना चाहिये। हाँ ! चुनाव से पहले ही देश के मुसलमानों में एक खौफ जरूर देखने को मिल रहा है कि चुनाव से पूर्व ही पस्त होती कांग्रेस की हालात को देखते हुए मुसलमान इस असमंजस कि स्थिति में हैं कि वे किसे वोट दे? जबकि यूपी में सपा, बसपा के चरित्र से धोखा खाने के बाद मुसलमानों के सामने विकल्प की तलाश एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
जिस प्रकार भाजपा ने यूपीए-2 की सरकार में आरटीआई कानून में संशोधन करने में साथ दिया, दागी बिल को पास किया, लोकपाल बिल को लेकर देश को गुमराह किया और दागियों व भ्रष्टाचरियों को बचाने का प्रयास किया है यह बात किसी से छुपी नहीं है।
लोकपाल बिल तो अंततः में भ्रष्टाचारियों के भैंट चढ़ ही गया। बिल पास करने में अरुण जेटली जी ने जिस प्रकार की हड़बड़ी दिखाई कि ‘‘जरूरत पड़े तो बिना बहस के भी बिल पास कर दिया जाए।’’ से स्पष्ट हो जाता है कि ये राजनैतिक पार्टियां भ्रष्टाचारियों और दागियों को बचाने का हरसंभव प्रयास करती रही है और भविष्य में भी रहेगी। मानो सभी राजनैतिक पार्टियों को लगता है कि भ्रष्टाचारियों और दागियों के बिना आगामी लोकसभा में 272 को आंकड़ा जूटा पाना असंभव है। राष्ट्रवाद तो एक झलावा है जनता की भावनाओं को भूनाने का। सच है बूंद-बूंद भरेगा पाप का घड़ा।
– शम्भु चौधरी 02.02.2014
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आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार गुजरात के श्री नरेन्द्र मोदी जी अचानक से भ्रष्टाचार और विकास की बातें भूलाकर राष्ट्रवाद की बातें करने में लगे। अब भाजपा के समर्थक इस बात के प्रचार में लग गये कि को जो भाजपा को वोट ना दे वह देशद्रोही। यदि इनकी बात मान ली जाए तो संसद में 272 सीट राष्ट्रभक्तों के पास होगी यदि इनको मिल जाती है तो, और शेष बची-खुची सीटों पर देशद्रोहियों का कब्जा होगा।
एक समय यही भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (काली टोपी वाले) तीनों ने मिलकर राममंदिर मुद्दे को खूब भुनाया था। आज ये तीनों राम का नाम तक नहीं लेते। मानो इनको कोई सांप सूंघ गया हो। जैसे ‘राम’ बोलते ही मुसलमानों के कुछ वोट जो भी इनको मिलने हैं कहीं इनकी झौली से गायब ना हो जाए।
अब भाजपा ने भ्रष्टाचार के मामले पर भी चुप्पी साध ली है। चुंकि भाजपा मानती है कि कर्नाटका में भ्रष्टाचारियों के सहयोग से कुछ सीटें प्राप्त की जा सकती है। श्री नरेन्द्र मोदी को यदि आईएसआई वाले भी आकर यह कह दे कि वे भी उनको 20-30 सीटें दिलवा सकतें हैं तो भाजपा तत्काल राष्ट्रवाद से भी समझौता कर लेगी। इनकी देशभक्ति का पैमाना सिर्फ लोकसभा में 272 सीटें प्राप्त करना और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना मात्र है।
काली टोपी वाले चाहते है कि किसी भी हालात में नरेन्द्र मोदी को दिल्ली की सत्ता पर बैठा दिया जाए। चाहे इसके लिय कुछ भी करना पड़े। 272 का आंकड़ा पार होना चाहिये। हाँ ! चुनाव से पहले ही देश के मुसलमानों में एक खौफ जरूर देखने को मिल रहा है कि चुनाव से पूर्व ही पस्त होती कांग्रेस की हालात को देखते हुए मुसलमान इस असमंजस कि स्थिति में हैं कि वे किसे वोट दे? जबकि यूपी में सपा, बसपा के चरित्र से धोखा खाने के बाद मुसलमानों के सामने विकल्प की तलाश एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
जिस प्रकार भाजपा ने यूपीए-2 की सरकार में आरटीआई कानून में संशोधन करने में साथ दिया, दागी बिल को पास किया, लोकपाल बिल को लेकर देश को गुमराह किया और दागियों व भ्रष्टाचरियों को बचाने का प्रयास किया है यह बात किसी से छुपी नहीं है।
लोकपाल बिल तो अंततः में भ्रष्टाचारियों के भैंट चढ़ ही गया। बिल पास करने में अरुण जेटली जी ने जिस प्रकार की हड़बड़ी दिखाई कि ‘‘जरूरत पड़े तो बिना बहस के भी बिल पास कर दिया जाए।’’ से स्पष्ट हो जाता है कि ये राजनैतिक पार्टियां भ्रष्टाचारियों और दागियों को बचाने का हरसंभव प्रयास करती रही है और भविष्य में भी करती रहेगी। मानो सभी राजनैतिक पार्टियों को लगता है कि भ्रष्टाचारियों और दागियों के बिना आगामी लोकसभा में 272 को आंकड़ा जूटा पाना असंभव है। राष्ट्रवाद तो एक झलावा है जनता की भावनाओं को भूनाने का। सच है बूंद-बूंद भरेगा पाप का घड़ा।
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