आज देश में हर तरफ अराजकता का माहौल व्याप्त है। राजनेताओं ने सत्ता को बंदरबांट की दुकान सजा ली है। इनके चुनाव लड़ने का अर्थ होता है सीटों को बंटवारा। जैसे कोई देश को बांट रहा हो। इनका राजनैतिक धर्म है देश की जनता को लूटना। इसे रोकना होगा। संसद के भीतर कोई असमाजिक तत्व, अपराधी प्रकृति के लोग, भ्रष्टाचारी ना जाने पाये इसके लिये हमें एक जूट होना होगा। जो लोग हमें अराजक कहतें हैं वे खुद कतने अराजक है यह हमसबने कल लोकसभा और दिल्ली विधानसभा में देख लिया है। कल का दिन इनकी अराजकता का नंगा नाच भर है। हमें अभी इनके इस नंगेपन को और देखना बाकी है। जैसे-जैसे आप हमसब इनसे तर्क करेगें ये इनका असली रूप निखर के खुदबखुद सामने आ जायेगा।
चुनाव खर्च को लेकर ये इस प्रकार अभी से चिंतित हैं इतनी चिन्ता देश की जनता के प्रति होती तो देश की सभी समस्यों का हल अभीतक निकाला जा सकता था। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्येक राजनैतिक दल प्रति उम्मीदवार 40 से 50 लाख खर्च करने की इजाजत मांग रहें हैं। कल्पना किजिये इनके पास समाज की सेवा के लिये, देश की जनता की समस्यओं को हल करने के लिए धन नहीं है। चुनाव लड़ने के लिये इन नेताओं के पास इतना धन कहाँ से आ जाता है? इनका पैशा/ कारोबार क्या है? जहाँ से धन की यह बरसात होती है? हमें इनके उन सभी रास्तों पर पहरेदरी लगानी होगी। इन रास्तों को बंद करना होगा।
मैं मानता हूँ हमसब की विचारधारा अलग-अलग है। हम-आप अलग-अलग राजनीति दलों से संबंध भी रखते होगें। कोई भाजपा को समर्थन दे रहा होगा, तो कोई कांग्रेस, माकपा विभिन्न आंचलिक राजनैतिक दलों में अपनी रूचि रखतें होगें। रखना भी चाहिये। यही लोकतंत्र है। साथ ही हमें देश का सच्चा नागरिक भी बनना होगा। देश के प्रति हमारा भी कर्तव्य है। हमसब की भी महत्वपूर्ण भूमिका है जिसको हम पांच साल में सिर्फ एक बार ही प्रयोग कर पाते हैं। इसे बदलना होगा। इसके लिये ‘सुराज’ नहीं ‘स्वराज्य’ लाना होगा। इन दोनों बातों में भ्रम पैदा करने का प्रयास जारी है। इस भ्रम से हमें सावधान होना होगा।
मेरी बातों का यह अर्थ कदापी नहीं कि आप ‘आप’ को ही अपना समर्थन दें। देश में एक नये प्रकार का भय पैदा करें कि इस बार सीटों की बंदरबांट में कोई राजनैतिक दल यदि दागियों को टिकट दे तो उनकी खैर नहीं बस इतना सा भय। देश में 90 प्रतिशत ईमानदार लोग बसतें हैं। 10 प्रतिशत बेईमानों ने मिलकर पूरी व्यवस्था को गंदा कर दिया है। इनकी पूरी व्यवस्था सिस्टम से चलती है। जिसपर सरकार की मोहर लगी हुई है। इसे बदलना होगा। बस इतना सा भय देश की सूरत बदल देगी। आयें हमसब मिलकर इस यज्ञ के साक्षी बनें। आप अपनी-अपनी राजनैतिक विचारधारा को कायम रखते हुए देश में साफ-सुथरी व्यवस्था कायम करने में अपना योगदान दैं।
हाँ! जाते-जाते एक बात और कहना चाहता हूँ हम अपने वोट को खराब ना होन दें। क्योंकि हमसब मिलकर अपने देश को बदलना चाहतें हैं। आयें हमसब मिलकर बोलें – “मैं भारत को प्यार करता हूँ।” जयहिन्द!
– शम्भु चौधरी 14.02.2014
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Baat Pate Ki
आज देश में हर तरफ अराजकता का माहौल व्याप्त है। राजनेताओं ने सत्ता की दुकान सजा ली है। इनके चुनाव लड़ने का अर्थ होता है सीटों को बंटवारा। जैसे कोई देश को बांट रहा हो। इनका राजनैतिक धर्म है देश की जनता को लूटना। इसे रोकना होगा। संसद के भीतर कोई असमाजिक तत्व, अपराधी प्रकृति के लोग, भ्रष्टाचारी ना जाने पाये इसके लिये हमें एक जूट होना होगा। जो लोग केजरीवाल को अराजक कहतें हैं वे खुद कितने अराजक है यह हमसबने कल लोकसभा और दिल्ली विधानसभा में देख लिया है। कल का दिन इनकी अराजकता का नंगा नाच भर है। हमें अभी इनके इस नंगेपन को और देखना बाकी है। जैसे-जैसे आप हमसब इनसे तर्क करेगें ये इनका असली रूप निखर कर खुदबखुद सामने आ जायेगा।
चुनाव खर्च को लेकर ये किस प्रकार अभी से चिंतित हैं इतनी चिन्ता देश की जनता के प्रति होती तो देश की सभी समस्यों का हल पिछले 65 सालों में निकाला जा सकता था। लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्येक राजनैतिक दल प्रति उम्मीदवार 40 से 50 लाख खर्च करने की इजाजत मांग रहें हैं। कल्पना किजिये इनके पास समाज की सेवा के लिये, देश की जनता की समस्यओं को हल करने के लिए धन नहीं है। चुनाव लड़ने के लिये इन नेताओं के पास इतना धन कहाँ से आ जाता है? इनका पैशा/ कारोबार क्या है? जहाँ से धन की यह बरसात होती है? हमें इनके उन सभी रास्तों पर पहरेदरी लगानी होगी। इन रास्तों को बंद करना होगा।
मैं मानता हूँ हमसब की विचारधारा अलग-अलग है। हम-आप अलग-अलग राजनीति दलों से संबंध भी रखते होगें। कोई भाजपा को समर्थन दे रहा होगा, तो कोई कांग्रेस, माकपा विभिन्न आंचलिक राजनैतिक दलों में अपनी रूचि रखतें होगें। रखना भी चाहिये। यही लोकतंत्र है। साथ ही हमें देश का सच्चा नागरिक भी बनना होगा। देश के प्रति हमारा भी कर्तव्य है। हमसब की भी महत्वपूर्ण भूमिका है जिसको हम पांच साल में सिर्फ एक बार ही प्रयोग कर पाते हैं। इसे बदलना होगा। इसके लिये ‘सुराज’ नहीं ‘स्वराज्य’ लाना होगा। इन दोनों बातों में भ्रम पैदा करने का प्रयास जारी है। इस भ्रम से हमें सावधान होना होगा।
मेरी बातों का यह अर्थ कदापी नहीं कि आप ‘आप’ को ही अपना समर्थन दें। देश में एक नये प्रकार का भय पैदा करें कि इस बार सीटों की बंदरबांट में कोई राजनैतिक दल यदि दागियों को टिकट दे तो उनकी खैर नहीं बस इतना सा भय। देश में 90 प्रतिशत ईमानदार लोग बसतें हैं। 10 प्रतिशत बेईमानों ने मिलकर पूरी व्यवस्था को गंदा कर दिया है। इनकी पूरी व्यवस्था सिस्टम से चलती है। जिसपर सरकार की मोहर लगी हुई है। इसे बदलना होगा। बस इतना सा भय देश की सूरत बदल देगी। आयें हमसब मिलकर इस यज्ञ के साक्षी बनें। आप अपनी-अपनी राजनैतिक विचारधारा को कायम रखते हुए देश में साफ-सुथरी व्यवस्था कायम करने में अपना योगदान दैं।
हाँ! जाते-जाते एक बात और कहना चाहता हूँ हम अपने वोट को खराब ना होन दें। क्योंकि हमसब मिलकर अपने देश को बदलना चाहतें हैं। आयें हमसब मिलकर बोलें – “मैं भारत को प्यार करता हूँ।” जयहिन्द!
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